Sunday, 26 February 2017

हमारी आकाशगंगाएँ.......

हमारा ब्रह्माण्ड इतना विशाल है कि उसके वर्णन के लिये मेरे पास शब्द कम पड़ जाते है। इतना विशाल, महाकाय कि शब्द लघु से लघुतम होते जाते है।
संस्कृत और कई अन्य हिन्द-आर्य भाषाओँ में हमारी गैलॅक्सी को "आकाशगंगा" कहते हैं। पुराणों में आकाशगंगा और पृथ्वी पर स्थित गंगा नदी को एक दुसरे का जोड़ा माना जाता था और दोनों को पवित्र माना जाता था। प्राचीन हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में आकाशगंगा को "क्षीर" (यानि दूध) बुलाया गया है। भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर भी कई सभ्यताओं को आकाशगंगा दूधिया लगी। "गैलॅक्सी" शब्द का मूल यूनानी भाषा का "गाला" (γάλα) शब्द है, जिसका अर्थ भी दूध होता है। फ़ारसी संस्कृत की ही तरह एक हिन्द-ईरानी भाषा है, इसलिए उसका "दूध" के लिए शब्द संस्कृत के "क्षीर" से मिलता-जुलता सजातीय शब्द "शीर" है 
पृथ्वी से दूर स्थित अलग-अलग आकाशगंगाओं की रोशनी हम तक लाखों, करोड़ों साल में पहुँचती है। इसीलिए जब हम रात में आसमान को देखते हैं तो हम दरअसल समय की गहराई में झांक रहे होते हैं। नासा की शक्तिशाली हब्बल टेलिस्कोप ने अंतरिक्ष की कई आकाशगंगाओं की तस्वीरों को लेने का अद्भुत काम किया है। कई आकाशगंगाएं इतनी दूर हैं कि उनका प्रकाश हम तक पहुँचने में लाखों साल का समय लेता है। इससे ज़ाहिर है कि हम उस आकाशगंगा को लाखों साल पहले की अवस्था में देख रहे होते हैं।अगर कोई आकाशगंगा एक करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है तो हम उसे एक करोड़ साल पहले की अवस्था में देखते हैं, यह पृथ्वी पर मानव प्रजाति के अभ्युदय से पहले का समय है।

Thursday, 23 February 2017

कैसे करे महाशिवरात्रि मे भगबान शिव को प्रसन्न।

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि में भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया। कई स्थानों पर यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था। जो समुद्र मंथन के समय बाहर आया था।


महाशिवरात्रि को पूजा करते वक्त सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। वहीं अगर घर के आस-पास में शिवालय न हो, तो शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर भी उसे पूजा जा सकता है। वहीं इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और पाठ करना चाहिए। शिव पुराण में महाशिवरात्रि को दिन-रात पूजा के बारे में कहा गया है और चार पहर दिन में शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र चढ़ाने से शिव की अनंत कृपा प्राप्त होती है। कई लोग चार पहर की पूजा भी करते हैं, जिसमें बार बार शिव का रुद्राभिषेक करना होता है।


शिव वंदना
ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम्।
वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम्।।
वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम्।
वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम्।।

Monday, 20 February 2017

थाइराइड का उपचार :


सेंट पीटर्सबर्ग, रूस से एक प्रसिद्ध चिकित्सक ने थायराइड ग्रंथि के विकारों का इलाज खोजने का दावा किया है इस अविश्वसनीय उपाए में सिर्फ एक घरेलु औषधि का उपयोग होता है और वो है लाल प्याज।
ये उपचार रात को सोने से पहले करना है एक लाल प्याज लेकर उसको दो हिस्सों में काट लें और गर्दन पर Thyroid Gland के आस पास गोल गोल मसाज करे। मसाज करने के बाद गर्दन को धोएं नहीं रात भर ऐसे ही छोड़ दें और प्याज का रस अपना काम करता रहेगा।
ये उपचार बहुत ही आसान है और आप इसे एक बार जरुर आजमा कर देखें आप को अच्छे नतीजे प्राप्त होंगे।

सूर्य

सूरज आग का एक गोला है और सौर मण्डल का मुखिया है जिसका ताप 6000 हजार डिग्री सेंटीग्रेड है। निहारिका परिसंकल्पना के मुताबिक लाखों-करोड़ों वर्ष पूर्व सूरज के करीब से एक विशालकाय पिण्ड गुजरा तो गुरुत्वाकर्षण की शक्ति से सूरज में से नौ छल्ले निकले जो बाद में नवग्रह बुध शुक्र पृथ्वी मंगल बृहस्पति शनि अरुण वरुण और यम कहलाये।
पृथ्वी ग्रह उन्हीं में से एक है यानी धरती जिस पर हम जीवन जी रहे हैं।यह पृथ्वी लाखों करोड़ों वर्षोँ में धीरे धीरे ठण्डी हुई।पृथ्वी पर करीब70% भाग पर जल और 30%भाग स्थल है।सर्वप्रथम जल में सूक्ष्म जीव अस्तित्व में आये फिर तैरने वाले जल जीव।
कालांतर में सतह पर रेंगने वाले सरीसृप रीढ़ विहीन जीव अस्तित्व में आये।धीरे धीरे सतह पर चलने वाले जीव आये और फिर रीढ़ वाले जीव अस्तित्व में आये जैसे बन्दर आदि।इन्हीं बन्दरों ने पिछले दोनों पैरों पर चलना शुरू किया अर्थात् खड़े होकर।मान्यता है कि धीरे धीरे इन्हीं बन्दरों का विकसित रूप आज का मानव है।
बन्दर के विकसित रूप मानव ने एक लम्बी जद्दोजहद के बाद घर बनाये परिवार बसाये। धीरे धीरे कुटुम्ब कबीले अस्तित्व में आये। कबीले बड़े हुए तमाम बड़े बड़े कबीलों के आपस में सम्बन्ध जुड़े एक इकाई में बंधे तो राज्य(state)बने।जिनकी एक निश्चित जनसंख्या और एक निश्चित भूभाग होता था। तमाम कबीले के शक्तिशाली मुखियाओं में संघर्ष हुए तो फिर राज्य का एक राजा होने लगा।
राजा के आदेश प्रजा के लिए सिरोधार्य होते थे उनकी अवहेलना दण्ड का कारण बनती।राजा के विवेक पर दण्ड तय होता था।कठोर दण्ड के कारण प्रजा राजा की खिलाफत नहीं करती थी। राजा जो कहता प्रजा मान लेती थी।राजाओं के डर से प्रजा उन्हें पूजने लगी।पूजा अंधभक्ति में बदलने लगी।
जब राजा पूजे जाने लगे तो अभिमानी राजाओं ने स्वयं को प्रजा के लिए भाग्यविधाता अर्थात् स्वयं को ईश्वर घोषित कर दिया।लुई सोलहवां कहता था (I am the state) मैं ही राज्य हूँ।ऐसे राजाओं के व्यवहार से जनता रुष्ट होने लगी राजतंत्र की बुराइयों के कारण अल्पतंत्र लोकतंत्र जैसी शासन प्रणालियाँ आयीं।इस राजतंत्र की भयंकर बुराई यह थी कि कथित ईश्वर-भगवान को इसी काल में पवित्रता और परम शक्तियों से लैस कर दिया क्योंकि यह राजा के बायें हाथ का खेल था और उसका सर्वोपरि हित निहित था। सारे भगवान और देवी-देवता इसी राजतंत्र की निर्मिति थीं।
लोकतंत्र वर्तमान में सबसे बेहतर प्रणाली है। स्विट्ज़रलैंड एकमात्र प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक देश है जबकि भारत में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है यानी प्रजा अपने प्रतिनिधि चुनती है और प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं...और फिर सरकार प्रजा को बनाती है.. यह मेरा सृष्टि के बारे में दृष्टिकोण है जिसमें ईश्वर का कोई हस्तक्षेप नहीं है और आत्मा की कोई भूमिका नहीं है।सबकुछ प्राकृतिक रूप से प्रकृति के नियमों से हुआ है, होता है और होता रहेगा।

Saturday, 18 February 2017

परमाणु सिद्धान्त के जनक:: ---- महर्षि कणाद

परमाणु सिद्धान्त के जनक::----
महर्षि कणाद::----
इतिहास सिद्ध है कि भारत का विज्ञान और
धर्म अरब के रास्ते यूनान पहुंचा और यूनानियों ने
इस ज्ञान के दम पर जो आविष्कार किए और
सिद्धांत बनाए उससे आधुनिक विज्ञान को मदद
मिली। लेकिन यह शर्म की बात है कि आधुनिक
वैज्ञानिकों ने अपने पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों को
श्रेय देने के बजाया खुद को ही दिया। लेकिन
सत्य सूरज की तरह होता है जो ज्यादा देर तक
छिपा नहीं रह सकता।
भौतिक जगत की उत्पत्ति सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण
परमाणुओं के संघनन से होती है- इस सिद्धांत के
जनक महर्षि कणाद थे। यह बात आधुनिक युग के
अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन (6 सितंबर 1766
-27 जुलाई 1844) भी जानते ही होंगे। इसके
अलावा महर्षि कणाद ने ही न्यूटन से पूर्व गति के
तीन नियम बताए थे। न्यूटन भी जानते ही होंगे।
।।वेगः निमित्तविशेषात कर्मणो जायते। वेगः
निमित्तापेक्षात कर्मणो जायते नियतदिक
क्रियाप्रबन्धहेतु। वेगः संयोगविशेषविरोधी।।-
वैशेषिक दर्शन
अर्थात् : वेग या मोशन पांचों द्रव्यों पर निमित्त व विशेष कर्म के कारण उत्पन्न होता है तथा नियमित दिशा में
क्रिया होने के कारण संयोग विशेष से नष्ट होता
है या उत्पन्न होता है।
गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत : सर आइजक न्यूटन ने 5
जुलाई 1687 को अपने कार्य 'फिलोसोफी
नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका' में गति के इन
तीन नियमों को प्रकाशित किया। पश्चिम जगत
मानता है कि 1687 से पहले कभी सेब जमीन पर
गिरा ही नहीं था। जब सेब गिरा तभी दुनिया
को समझ में आया की धरती में गुरुत्वाकर्षण की
शक्ति होती है। हालांकि इस शक्ति को
विस्तार से सबसे पहले भास्कराचार्य ने समझाया
था।
उपरोक्त संस्कृत सूत्र न्यूटन के 913 वर्ष पूर्व
अर्थात ईसा से 600 वर्ष पूर्व लिखा गया था।
न्यूटन के गति के नियमों की खोज से पहले
भारतीय वैज्ञानिक और दार्शनिक महर्षि
कणाद ने यह सूत्र 'वैशेषिक सूत्र' में लिखा था,
जो शक्ति और गति के बीच संबंध का वर्णन
करता है। निश्चित ही न्यूटन साहब ने वैशेषिक
सूत्र में ही इसे खोज लिया होगा। पश्चिमी जगत
के वैज्ञानिक दुनियाभर में खोज करते रहे थे। इस
खोज में सबसे अहम चीज जो उन्हें प्राप्त हुई वह
थी 'भारतीय दर्शन शास्त्र।'
परमाणु बम : परमाणु बम के बारे में आज सभी
जानते हैं। यह कितना खतरनाक है यह भी सभी
जानते हैं। आधुनिक काल में इस बम के आविष्कार
हैं- जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर। रॉबर्ट के नेतृत्व में
1939 से 1945 कई वैज्ञानिकों ने काम किया
और 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण
किया गया। हालांकि परमाणु सिद्धांत और
अस्त्र के जनक जॉन डाल्टन (6 सितंबर 1766 -27
जुलाई 1844) को माना जाता है, लेकिन उनसे
भी लगभग 913 वर्ष पूर्व ऋषि कणाद ने वेदों में
लिखे सूत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत का
प्रतिपादन किया था।
विख्यात इतिहासज्ञ टीएन कोलेबुरक ने लिखा
है कि अणुशास्त्र में आचार्य कणाद तथा अन्य
भारतीय शास्त्रज्ञ यूरोपीय वैज्ञानिकों की
तुलना में विश्वविख्यात थे। ऋषि कणाद को
परमाणुशास्त्र का जनक माना जाता है।
आचार्य कणाद ने बताया कि द्रव्य के परमाणु
होते हैं।
महर्षि कणाद ने परमाणु को ही अंतिम तत्व
माना। कहते हैं कि जीवन के अंत में उनके शिष्यों
ने उनकी अंतिम अवस्था में प्रार्थना की कि कम
से कम इस समय तो परमात्मा का नाम लें, तो
कणाद ऋषि के मुख से निकला पीलव:, पीलव:,
पीलव: अर्थात परमाणु, परमाणु, परमाणु।
आज से 2600 वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड का विश्लेषण
परमाणु विज्ञान की दृष्टि से सर्वप्रथम एक
शास्त्र के रूप में सूत्रबद्ध ढंग से महर्षि कणाद ने
अपने वैशेषिक दर्शन में प्रतिपादित किया था।
कुछ मामलों में महर्षि कणाद का प्रतिपादन
आज के विज्ञान से भी आगे है।

हार्ट ब्लॉकेज का सरल उपाय .

हार्ट अटैक ना घबराये सहज सुलभ उपाय 99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है
पीपल का पत्ता....
पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न
हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार
विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ
भाग कैंची से काटकर अलग कर दें।
पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें।
इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें।
जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा
होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान
पर रख दें, दवा तैयार।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे
बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो
जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से
हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का
दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के
रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।
* पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की
अद्भुत क्षमता है।
* इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे,
11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं।
* खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना
चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के
बाद ही लें।
* प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें।
मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद
कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें।
* अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी
दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए
काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें.

Friday, 17 February 2017

जानिये शनि की साढ़े साती के बारे मे.......!

शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति को कैसे फल प्रदान करेगी यह व्यक्ति की जन्म कुंडली के योगों पर निर्भर करेगा. जन्म कुंडली के योगों के साथ दशा/अंतर्दशा किस ग्रह की चल रही है और दशानाथ कुंडली के किन भावों से संबंध बना रहा है आदि बहुत सी बातें शनि की साढ़ेसाती के परिणाम देने के लिए देखी जाती है. जन्म कुंडली में शनि महाराज स्वयं किस हालत में है, शनि कुंडली के लिए शुभफलदायक हैं अथवा अशुभ फल देने वाले हैं और शनि किन योगों में शामिल हैं अथवा नहीं है, पीड़ित है अथवा नहीं है आदि बातें शनि के लिए देखी जाती हैं. इनके अलावा और भी बहुत सी बातें हैं जिनका विश्लेषण करने के बाद ही शनि की साढ़ेसाती का फल कहना चाहिए.शनि की साढ़ेसाती अथवा ढ़ैय़्या में जीवन में बदलाव अवश्य आता है और यह बदलाव अच्छा होगा या बुरा होगा ये आपकी जन्म कुंडली तय करेगी क्योंकि अच्छी दशा के साथ शनि की ढैय्या अथवा साढ़ेसाती बुरी साबित नहीं होती है लेकिन यदि अशुभ भाव अथवा अशुभ ग्रह की दशा चल रही है तब काफी कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
   
  • शनि को शांत रखने के लिए शनि के बीज मंत्र की कम से कम तीन मालाएँ अवश्य करनी चाहिए और मंत्र जाप से पूर्व संकल्प करना जरुरी है. बीज मंत्र के बाद शनि स्तोत्र का पाठ करना लाभदायक होगा.
  • बीज मंत्र – “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:”
  • विशेष- काली गाय का दान करने से भी शनि शुभ फल देने लगता है।  

Thursday, 16 February 2017

आर्यभट कौन थे ...!

पहले मनुष्य यही मानते थे कि पृथ्वी स्थिर है, केन्द्र में है तथा सूर्य सहित अन्तरिक्ष के सभी नक्षत्र उसकी परिक्रमा करते हैं।
ईसा की पांचवीं शती में विश्व में ब्रह्माण्ड का एक रहस्य सर्वप्रथम भारत में खोजा गया। उस समय बिना किसी दूरदर्शी की सहायता के आर्यभट ने सौर मण्डल का उस काल के लिए एक अत्यन्त अविश्वसनीय किन्तु अत्यन्त महत्वपूर्ण वैज्ञानिक रहस्य खोला था जिसे स्वीकार करने में मानव जाति को एक हजार वर्ष और लगे – कि सौरमण्डल में सूर्य स्थिर है तथा पृथ्वी अपने अक्ष पर प्रचक्रण करती हुई सूर्य की परिक्रमा करती है; कि ग्रहण छाया पड़ने के कारण पड़ते हैं न कि राक्षसों के कारण।
इसे सोलहवीं शती में स्वतन्त्र रूप से कोपरनिकस ने पाश्चात्य जगत में स्थापित किया। बारहवीं शती में भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण के तीनों नियम खोज निकाले थे। इसके साथ भारत में की गई अन्य वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी खोजों तथा आविष्कारों से यह प्रमाणित होता है कि यह आध्यात्मिक भारत बारहवीं शती तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा आर्थिक समृद्धि में विश्व में सर्वाग्रणी था। गति के नियमों को सत्रहवीं शती में स्वतन्त्र रूप से न्यूटन ने वैज्ञानिक रूप से स्थापित किया। और देखा जाए तो इन वैज्ञानिक तथ्यों की स्वीकृति के बाद ही पाश्चात्य संसार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास का ‘बिग बैंग’ (महान विस्फोट) हुआ।
दूरदर्शी
सत्रहवीं शती के दूरदर्शी के आविष्कार तक, पाश्चात्य जगत समस्त ब्रह्माण्ड को सौरमण्डल ही मानता था, 1609 में गालिलेओ ने छोटे से दूरदर्शी की सहायता से बृहस्पति ग्रह के चार चान्द देखे तो मानो दूरदर्शी में ही चार चान्द लग गये। और तब से विशाल से विशालतर दूरदर्शी बने जिनसे हम अब लगभग दस अरब प्रकाश–वर्ष (95 लाख करोड़ अरब किमी)की दूरी तक के नक्षत्रों, मन्दाकिनियों तथा नीहारिकाओं को देख सकते हैं। फिर हजारों मीटरों तक के क्षेत्र में फैले रेडियो दूरदर्शी बनाए गये और अब तो भारतीय मूल के नोबैल पुरस्कृत खगोलज्ञ एस. चन्द्रशेखर के सम्मान में निर्मित उपग्रह स्थित ‘चन्द्र एक्स–किरण’ वेधशाला है जो पृथ्वी के वायुमण्डल के पार से ब्रह्माण्ड के रहस्यों को खोल रही है। गुरुत्वाकर्षण तरंगों तथा शून्य या अल्पतम द्रव्यमान वाले वाले न्यूiट्रनो कणों पर खोज हो रही है।
मजे की बात है कि दूरदर्शी या अन्य उपकरण या वैज्ञानिक कुछ रहस्यों को खोलते हैं तो कुछ नवीन रहस्यों को उत्पन्न भी करते हैं। जब ब्रह्माण्ड में पिण्ड दिखे तो प्रश्न आया कि ये अतिविशाल जलते हुए पिण्डों का निर्माण किस तरह हुआ, मन्दाकिनियों, मन्दाकिनी–गुच्छों, फिर मन्दाकिनी–मण्डलों और फिर मन्दाकिनी–चादरों का निर्माण कैसे होता है? ब्रह्माण्ड का उद्भव तथा विकास कैसे हुआ?

Wednesday, 15 February 2017

रोचक और मजेदार तथ्य...!

 1.Guinness Book of World Records में दर्ज नामों में भारतीयों की संख्या तीसरे नंबर पर हैं.   2.  हाॅकी भारत का राष्ट्रीय खेल नही हैं.
 3. लंदर में 72 अरबपति रहते हैं, जो किसी भी शहर से सबसे ज्यादा हैं.
4. हर दिन 30 मिनिट का व्यायाम आपको 10 प्रतिशत अधिक स्मार्ट बनाता हैं.
5. इटली में लोग नये साल पर लाल अंडरवियर को पहनना लकी मानते हैं.









जानिये पूर्णसत्य......

अर्धसत्य ---फलां फलां तेल में कोलेस्ट्रोल नहीं होता है!
पूर्णसत्य --- किसी भी तेल में कोलेस्ट्रोल नहीं होता ये केवल यकृत में बनता है । 
अर्धसत्य ---सोयाबीन में भरपूर प्रोटीन होता है !
पूर्णसत्य---सोयाबीन सूअर का आहार है मनुष्य के खाने लायक नहीं है! भारत में अन्न की कमी नहीं है, इसे सूअर आसानी से पचा सकता है, मनुष्य नही ! जिन देशों में 8 -9 महीने ठण्ड रहती है वहां सोयाबीन जैसे आहार चलते है । 
अर्धसत्य---घी पचने में भारी होता है
पूर्णसत्य---बुढ़ापे में मस्तिष्क, आँतों और संधियों (joints) में रूखापन आने लगता है, इसलिए घी खाना बहुत जरुरी होता है !और भारत में घी का अर्थ देशी गाय के घी से ही होता है । 
अर्धसत्य---घी खाने से मोटापा बढ़ता है !
पूर्णसत्य---(षड्यंत्र प्रचार ) ताकि लोग घी खाना बंद कर दें और अधिक से अधिक गाय मांस की मंडियों तक पहुंचे, जो व्यक्ति पहले पतला हो और बाद में मोटा हो जाये वह घी खाने से पतला हो जाता है
अर्धसत्य---घी ह्रदय के लिए 
हानिकारक है !
पूर्णसत्य---देशी गाय का घी हृदय के लिए अमृत है, पंचगव्य में इसका स्थान है । 
अर्धसत्य---डेयरी उद्योग दुग्ध 
उद्योग है !
पूर्णसत्य---डेयरी उद्योग -मांस उद्योग है! यंहा बछड़ो और बैलों को, कमजोर और बीमार गायों को, और दूध देना बंद करने पर स्वस्थ गायों को कत्लखानों में भेज दिया जाता है! दूध डेयरी का गौण उत्पाद है ।

Friday, 10 February 2017

वैलेंटाइन डे और कौमुदी महोत्सव

प्राचीन काल में भारत में भी वैलेंटाइन डे जैसा त्योहार मनाते थे। इस त्योहार का नाम कौमुदी महोत्सव था और यह उत्सव शरद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता था। कौमुदी महोत्सव हमारे लोक जीवन का अनुराग पर्व था। इसे मनाने के लिए राजाज्ञा जारी होती थी और नगर के सभी पथ, गोपुर, वीथिकाएं एवं राजमार्ग सुगंधित द्रव्यों एवं पुष्परागों से सुवासित किए जाते थे। इस महोत्सव में युवक, युवती, प्रेमी युगल, दम्पती सुसज्जित एवं सुवासित होकर सभा स्थल पर पहुंचते थे और आनंद उठाते थे। वे अपने हृदय की कोमल भावनाओं को अपने प्रेमी के सामने प्रकट करते थे। इस दिन परस्पर प्रेम करने वाले युवक-युवती, पति-पत्नी या मित्र एक -दूसरे को उपहार दे कर भी अपने प्रेम को अभिव्यक्त करते थे। इन उपहारों में आम तौर पर पुष्प, सुगंधियां, प्रतीक चिन्ह, वस्त्र- अलंकार, दुर्लभ कृतियां आदि शामिल होती थीं। इस अवसर पर साथ उत्तम भोजन करने और एक-दूसरे के लिए साहित्यिक पद रचने तथा समर्पित करने का भी रिवाज था। उस जमाने में भी भावयामि (आय लव यू) और परिभावयामि (आय लव यू टू) -ये दो शब्द कौमुदी महोत्सव के मूल मंत्र थे। इस दिन प्रेमी युगल नौका विहार, पतंगबाजी, अश्वारोहण, वन भोज (पिकनिक) आदि का आनंद लेते थे। इस रात लोग चंद्रमा की पूजा करके उनसे अपने प्रेम के दीर्घजीवन और अटूट संबंध का वरदान मांगते थे। ऐसी मान्यता थी कि जो प्रेमी युगल इस पूर्णिमा को दूध, घी, शक्कर और इक्षुरस से शिवलिंग को स्नान कराते हैं

Thursday, 9 February 2017

पानी पूरी में टॉयलेट एसिड मिलाने पर हुई जेल

अहमदाबाद : पानी पूरी में टॉयलेट एसिड मिलाने पर हुई जेल

बाजार में आप क्या खा रहे हैं इसका आपको हमेशा ख्याल रखना चाहिए। गुजरात के अहमदाबाद के लाल दरवाज़ा क्षेत्र के एक पानी पूरी बेचने वाले को इसलिए जेल हुई कि उसने अपने पानी में टॉयलेट साफ़ करने वाला एसिड मिलाया था। यह केस 2009 में रजिस्टर किया गया था जिसका हाल ही में फैसला आया है।

कई पानी पूरी वाले अपने पानी को चटपटा और खट्टा बनाने के लिए मसालों की जगह टॉयलेट एसिड का प्रयोग करते हैं क्योंकि यह बहुत सस्ता होता है लेकिन यह आपकी सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक होता है क्योंकि यह एसिड आपके सम्पूर्ण पाचनतंत्र को हमेशा के लिए नष्ट कर सकता है।

Tuesday, 7 February 2017

सिगरेट,तंबाकू आदि नशा छोड़ने का सबसे बढ़िया आयुर्वेदिक उपचार

अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लाड़ मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !

अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाया जाएगा: मुख्यमंत्री



  रायसेन में आयोजित अंत्योदय मेले मे मुख्यमंत्री ने की अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षक नियुक्त किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि विभागीय पात्रता परीक्षा में अतिथि शिक्षकों को बोनस अंक देकर संविदा शिक्षक नियुक्त किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जो अतिथि शिक्षक 2002-2008 एवं 2011 में पात्रता परिक्षा उत्तीर्ण हैं उन्हे संविदा शाला शिक्षक बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री से अंत्योदय मेले में मुलाकात करने वालों में भारतीय अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अवधनारायण धाकड, धर्मेन्द्र रघु रामलोकचन रघु चांद खान, सदाशिव पाठक, हरिगोविन्द मीणा, गंभीर रघु, एवं प्रदेश से सैकड़ों अतिथि शिक्षक उपस्थित रहै।


Monday, 6 February 2017

क्या ईन्सान कभी अमर बन पाएगा ?

  ऐसे सवालों के जवाब की चाबी हो सकती है । जो प्राणी लम्बे समय तक जीवित रह सकते है।
* प्राणियों में कचुआ ज्यादा समय तक जीवित रहता है इसकी अब तक की आयु 250 बरस है। 
* कुछ अमरिकन केकडे 140 बरस तक जीवित रहे थे। 
* मिंग नाम की गोगलगाय 507 बरस तक जीवित रही थी पर एक रिसर्च करने वाले के गलती के कारण वह मर गई। 
* समुद्री शैवाल,प्रवाळ,और कुछ वनस्पति हजारो साल से जीवित है। 
* पर ईन सबसे ज्यादा जीवित रहते है तो वे है सुक्ष्मजीव सैबेरीया,अंटार्टीका,और कँनडा के भयानक थंड मे बर्फ के नीचे ऐसे बहुत सारे जीव है जो हजारो नहीं बल्कि लाखों सालो से वहा पर जीवित है। और तब से वहीपर है।
*1979 में रशियन संशोधक सबित एबिजोव्ह अंटाक्ट्रिकाके रशियन स्थानक यानी वोस्टोक पर काम कर रहे थे तब उन्हे 3600 मीटर नीचे कुछ जीवाणु, बुरशी और अन्य सुक्ष्म जीव नजर आऐ लाखो टन बरफ के निचे ईतने अंदर पडे हुऐ ये जीव हजारो सालो से जीवित थे
* 2007 में डेनमार्क के कोपनहेगन युनिवर्सिटी के संशोधको नें पाच लाख बरस पहले एक जीवीत जीवाणु की खोज की थी।
* 2009 में ईससे भी पुराणा जीवाणु मीला जिसकी उम्र लगभग 35 लाख साल थी। जीसे रशियन संशोधक अँनातोली क्रोशकोव्ह ईन्होनें सैबेरीया में ईसकी खोज की थी। उन्होंने ईसे खुद के शरीर में छोडा था। उन्हें लगा अगर ये 35 लाख सालो से जीवित है तो क्या पता मुझे भी लम्बि आयु मिले। उसके बाद दो साल तक उन्हें बुखार का कुछ असर ही नहीं हुआ था।

Saturday, 4 February 2017

लौंग (Clove) के 150 चमत्कारी फायदे :

  1. लौंग को मुंह में रख कर उसका रस चूसने से खांसी ख़त्म होती है। जब तक मुंह में लोंग रहती है तब तक खांसी बंद ही रहती है।
  2. लौंग को मुंह में रख कर चूसने से मुंह और श्वास की बदबू दूर हो जाती है।
  3. लौंग के तेल की कुछ बुंदे किसी स्वच्छ कपडे के टुकड़े पर टपकाकर, उस कपडे को बार-बार सूंघने से प्रतिषय (जुकाम) की समस्या ठीक हो जाता है साथ ही नाक भी बंद नहीं होती है, और नाक अगर बंद हो तो खुल जाती है।
  4. लौंग को पानी के साथ पीसकर 100 ग्राम पानी में मिलाकर, छानकर मिश्री मिलाकर पिने से ह्रदय की जलन विकृति दूर होती है। पेट में जलन होना बंद हो जाती है।
  5. वात विकार व सन्धिशुल (जोड़ों के दर्द) में लौंग का तेल मलने से पीड़ा ख़त्म होती है।
  6. लौंग को पानी के साथ पीसकर हलके गर्म पानी में मिलाकर पिने से जी मचलना बंद हो जाता है और ज्यादा प्यास लगना भी बंद हो जाती है।
  7. लौंग के तेल की एक दो बुंदे बताशे पर डालकर खाने से हैजे की विकृति दूर हो जाती है।
  8. लौंग को बकरी के दूध में घीसकर, नेत्रों में काजल की तरह लगाने से रतोंधी रोग ठीक हो जाता है।
  9. लौंग और चिरायता दोनों बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर पिलाने से बुखार (ज्वर) ख़त्म हो जाता है।
  10. एक रत्ती लौंग को पीसकर, मिश्री की चाशनी में मिलाकर चाटकर खिलाने से गर्भवती स्त्री की उल्टियां बंद हो जाती है।
  11. लौंग को पानी के साथ पीसकर, shahad मिलाकर चाटने से खसरे के रोग में बहुत लाभ होता है।
  12. लौंग और हरड़ को पानी में खूब देर तक उबालकर कवाथ (काढ़ा) बनाकर थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर पिने से अजीर्ण में बहुत फायदा होता है।
  13. लौंग को पानी के साथ पीसकर सिर और कनपटियों पर लेप करने से स्नायविक (मस्तक शूल) ख़त्म होता है।
  14. बस व रेल के लम्बे सफर में जी मचलने व उलटी होने की स्थिति में लौंग मुंह में रखकर चूसने से बहुत फायदा होता है।
  15. लौंग (clove) को 200 ग्राम पानी में देर तक उबालें। 50 ग्राम पानी बाकी रह जाने पर उसे छानकर पिने से वायु विकार (गैस) और पेट दर्द खत्म हो जाता है।
  16. लौंग के तेल की सिर पर मालिश करने से सिरदर्द ख़त्म हो जाता है।
  17. लौंग और हल्दी को पिसकर लगाने से नासूर में बहुत फायदा होता है।
  18. लौंग को जल में उबालकर, छानकर थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाने से हैजे की विकृति में उलटी का प्रकोप शांत होता है। मूत्र अधिक निष्कासित होता है।
  19. लौंग को आग पर भूनकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर मधु मिलाकर चटाने से कुक्कुर (काली) खांसी में बहुत लाभ होता है।
  20. शरीर के किसी भी भाग पर शोध होने पर लौंग का तेल मलने से भी चमत्कारी लाभ होता है।
  21. पाचन क्रिया का खराब होना : लौंग 10 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह पीसकर इसमें एक ग्राम सेंधानमक मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को एक स्टील के बर्तन में रखकर ऊपर से नींबू का रस डाल दें। जब यह सख्त हो तब इसे छाया में सुखाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद सुबह और शाम पानी के साथ लें।
  22. शीतपित्त : चार लौंग पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज बुखार और पित्त के कारण उत्पन्न बुखार दूर होता है।
  23. नाक के रोग : लौंग को गर्म पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द और जुकाम ठीक हो जाता है।
  24. आधासीसी (माइग्रेन) अधकपारी : लगभग 5 ग्राम लौंग को पानी के साथ पीसकर उसको हल्का सा गर्म करके कनपटियों पर लेप करने से आधे सिर का दर्द मिट जाता है।          www.allayurvedic.org
  25. 10 ग्राम लौंग और लगभग 10 ग्राम तम्बाकू के पत्तों को पानी के साथ पीसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से आधासीसी का रोग दूर हो जाता है।
  26. पेट में दर्द : लौंग का चूर्ण 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम सुबह और शाम सेवन करने से पेट की पीड़ा में लाभ होता है।
  27. 1 लौंग को दिन में 2 बार (सुबह-शाम) खाना खाने के बाद चूसने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) की बीमारी और उससे होने वाली बीमारियों में लाभ होता है। लौंग के उपयोग से आमाशय शक्तिशाली होता है तथा यह, भूख न लगना, पेट के कीड़े, बलगम, श्वास (सांस) की बीमारी और वात आदि के रोगों में लाभकारी है।
  28. लौंग का तेल 1 से 3 बूंद मिश्री में डालकर या गोंद में मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
  29. 10 लौंग, 2 चुटकी कालानमक, आधी चुटकी हींग को पीसकर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
  30. गठिया रोग : लौंग, भुना सुहागा, एलुवा एवं कालीमिर्च 5-5 ग्राम को कूट-पीस लें और घीग्वार के रस में मिलाकर चने के आकार के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। उसके बाद एक-एक गोली सुबह-शाम लेने से गठिया का रोग नष्ट हो जाता है।
  31. यो*नि रोग : लौंग को पीसकर घोड़ी के दूध में मिलाकर सुखा लें। इसके बाद इसे पीसकर योनि में रखने से यो*नि का आकार संकुचित होकर यो*नि छोटी हो जाती है।
  32. चक्कर आना : सबसे पहले दो लौंग लें और इन लौंगों को दो कप पानी में डालकर उबालें फिर इस पानी को ठंडा करके चक्कर आने वाले रोगी को पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।
  33. हृदय की दुर्बलता : लौंग को पीसकर मिश्री मिलाकर शर्बत बनायें। इसके पीने से हृदय की जलन मिट जाती है।
  34. 4 लौंग को पानी में पीसकर शक्कर मिलाकर सेवन करें। इससे हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है।
  35. सर्दी में हृदय रोग होने पर 21 लौंग, तुलसी के 7 पत्ते, 5 कालीमिर्च तथा 4 बादाम। इन सबको पानी में पीसकर शर्बत बना लें। फिर इसमें थोड़ा शहद डालकर पी जाएं। यह शर्बत हृदय को शक्ति प्रदान करेगा।
  36. पसलियों का दर्द : लौंग को मुंह में रखकर चूसने से खांसी कम होती है तथा कफ आराम से निकल जाती है। खांसी, दमा श्वास रोगों में लौंग के सेवन से लाभ पहुंचता है।
  37. खसरा : खसरा निकलने पर दो लौंग पानी में घिसकर बच्चे को चटाना चाहिए।
  38. खसरा निकलने पर 2 लौंग को घिसकर शहद के साथ प्रयोग कराने से खसरा रोग ठीक होता है।
  39. खसरे के रोग में बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगती है। बार-बार पानी पीने से उसे वमन (उल्टी) होने लगती है। ऐसी हालत में पानी को उबालते समय उसमें दो-तीन लौंग डाल दें। फिर उस पानी को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी बच्चे को पिलाने से प्यास समाप्त हो जाती है।
  40. जब खसरे के दाने पूरी तरह बाहर आ जायें तो लौंग को घिसकर शहद के साथ रोजाना 2-3 बार देने पर खसरा ठीक हो जाता है।
  41. डब्बा रोग : 7 लौंग को पानी में घिसकर बच्चे को देने से सर्दी के मौसम में होने वाला डब्बा रोग (पसली चलना) मिट जाता है।
  42. बालाचार, बालाग्रह : 20 लौंग को एक कपडे़ में बांधकर बच्चे के गले में ताबीज की तरह बांधने से दौरा आना कुछ ही समय में बंद हो जायेगा।
  43. प्रलाप बड़बड़ाना : 1-1 ग्राम लौंग, तगर, ब्राह्मी और अजवायन को लगभग 16 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी शेष बचे तो इसे छानकर रोजाना दो या तीन बार पिलाने से प्रलाप दूर हो जाता है।
  44. साइटिका (गृध्रसी) : लौंग के तेल से पैरों पर मालिश करने से साइटिका का दर्द खत्म हो जाता है।
  45. कुष्ठ (कोढ़) : 1.20 ग्राम अंकोल की जड़ की छाल, जायफल, जावित्री और लौंग को पीसकर पानी के साथ खाने से कोढ़ का फैलना रुक जाता है।
  46. लिं*ग दोष : लिं*ग की इन्द्रियों के दोष दूर करने के लिए 20 ग्राम लौंग को 50 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर जलाएं। ठंडा होने पर इससे लिं*ग की मालिश करें। इससे लिं*ग की इन्द्रियों के दोष दूर हो जाते हैं।
  47. नाभि रोग (नाभि का पकना) : लौंग का तेल व तिल का तेल दोनों को एक साथ मिलाकर नाभि पर लगाने से बच्चे को नाभि के कारण हो रहे दर्द में आराम मिलता है।
  48. लिं*ग वृद्धि: लौंग के तेल को शहर के ओलिव ऑयल में मिला लें। इससे सु*पारी को (लिं*ग का अगला हिस्सा) को छोड़कर लिं*ग की मालिश करने से लिं*ग के आकार में वृद्धि हो जाती है।
  49. नाड़ी का दर्द : लौंग के तेल से मालिश करने से नाड़ी, कमर, जांघ और घुटने आदि सभी दर्दों में लाभ होता है।
  50. गले की सूजन : एक चम्मच गेहूं के आटे का चोकर (छानबूर), एक चम्मच सेंधानमक और दो नग लौंग को पानी में चाय की तरह उबालकर तथा छानकर पिएं। इससे गले की सूजन ठीक हो जाती है। www.allayurvedic.org
  51. टांसिल का बढ़ना : एक पान का पत्ता, 2 लौंग, आधा चम्मच मुलेठी, 4 दाने पिपरमेन्ट को एक गिलास पानी में मिलाकर काढ़ा बनाकर पीना चाहिए।
  52. गलकोष की सूजन व दर्द : लगभग 120 मिलीलीटर से 300 मिलीलीटर लौंग की फांट या चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से गले की सूजन और दर्द में आराम आता है।
  53. कंठपेशियों का पक्षाघात : ज्योतिष्मती के बीज और 2-4 फूल लौंग डालकर काढ़ा तैयार करके 20 से 40 ग्राम रोगी को पिलाने से बहुत आराम मिलता है।
  54. दांतों का दर्द : 5 ग्राम नींबू के रस में 3 लौंग को पीसकर मिला लें। इसे दांतों पर मलें और खोखल में लगायें। इससे दांतों का दर्द नष्ट होता है।
  55. लौंग के तेल में रूई भिगोकर दांतों में लगाने तथा खोखल में रखने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
  56. दमा या श्वास रोग : दो लौंग को 150 मिलीलीटर पानी में उबालें और इस पानी को थोड़ी सी मात्रा में पीने से अस्थमा और श्वास का रुकना खत्म हो जाता है।
  57. मुंह में लगातार लौंग रखकर चूसना चाहिए। इससे दमा का रोग दूर हो जाता है।
  58. लौंग तथा कालीमिर्च का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर त्रिफला तथा बबूल के रस के काढ़े में घोलकर दो चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
  59. लौंग, त्रिगुणा, नागरमोथा काकड़ासिंगी, बहेड़ा और रीगणी को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर रख लें, इसे ग्वारपाठे के रस में मिलाकर चने के बराबर आकार की गोली बना लें। इसकी एक गोली सुबह और एक गोली शाम को लेने से दमा में लाभ मिलता है।
  60. लौंग मुंह में रखने से कफ आराम से निकलता है तथा कफ की दुर्गंध दूर हो जाती है। मुंह और श्वास की दुर्गंध भी इससे मिट जाती है।
  61. फेफड़ों की सूजन : लौंग का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद व घी को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी और श्वांस सम्बंधी पीड़ा दूर हो जाती है।
  62. अंजनहारी, गुहेरी : लौंग को पानी के साथ घिसकर गुहेरी पर लगाने से गुहेरी समाप्त हो जाती है। बस शुरूआत में थोड़ी जलन महसूस होती है।
  63. दांत मजबूत करना : दांतों में कमजोरी के कारण दांत हिलने तथा टूटने लगते हैं। इस तरह की परेशानी में कालीमिर्च 50 ग्राम और लौंग 10 ग्राम को पीसकर मंजन बनाकर रोजाना मंजन करें। इससे दांत मजबूत होते हैं।
  64. पायरिया : लौंग के तेल में खस और इलायची को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम दांतों पर मलने से पायरिया ठीक होकर मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
  65. 5 से 6 बूंद लौंग का तेल 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर गरारे व कुल्ले करने से पायरिया रोग नष्ट होता है।
  66. दांत के कीड़े : कीड़े लगे दांतों के खोखल में लौंग के तेल को रूई में भिगोकर रखें। इससे दांत के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द कम होता है
  67. काली खांसी : तवे को आग पर रखकर लौंग को भून लें, फिर उस लौंग को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।
  68. थोड़ी सी लौंग तवे पर भूनकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। इस लौंग के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी दूर हो जाती है।
  69. बच्चों की काली खांसी में 30 से 60 मिलीग्राम गोलोचन को सुबह-शाम शहद के साथ चटाने से लाभ मिलता है। सावधानी यह रहे कि गोलोचन शुद्ध होना चाहिए क्योंकि मार्केट में यह बहुत अधिक मात्रा में नकली पाये जाते हैं।
  70. खांसी : 2 लौंग गर्म मसाने वाली को तवे पर भूनकर (गर्म तवे पर लौंग 1 मिनट में ही फूलकर मोटी हो जाएगी तभी उतार लेते हैं।) तथा पीसकर 1 चम्मच दूध में मिलाकर गुनगुना सा ही बच्चों को सोते समय पिला देने से खांसी से छुटकारा मिल जाता है।
  71. 10 ग्राम लौंग, 10 ग्राम जायफल, 10 ग्राम पीपल, 20 ग्राम मिर्च, 160 ग्राम सोंठ और 210 ग्राम बूरे का चूर्ण बनाकर गोली बना लें। इन गोलियों के सेवन से खांसी, बुखार, अरुचि, प्रमेह, गुल्म, श्वास, मंदाग्नि तथा ग्रहणी के रोग में तुरन्त लाभ मिलता है।
  72. लौंग, कालीमिर्च, बहेड़े की छाल और कत्था को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसके बाद उसे बबूल की छाल के काढ़े में डालकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को मुंह में रखकर चूसने से खांसी, श्वास, बुखार तथा नजला-जुकाम का रोग भी दूर हो जाता है।
  73. 1 भाग लौंग और 2 भाग अनार के छिलके को मिलाकर पीसकर इनका चौथाई चम्मच आधे चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना 3 बार चाटने से खांसी के रोग में लाभ मिलता है।
  74. 10-10 ग्राम लौंग, इलायची, खस, चंदन, तज, सोंठ, पीपल की जड़, जायफल, तगर, कंकोल, स्याह जीरा, शुद्ध गुग्गुल, पीपल, वंशलोचन, जटामांसी, कमलगट्टा, नागकेशर, नेत्रवाला सभी को लेकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इसमें उड़ाया हुआ कपूर 6 ग्राम की मात्रा में मिला दें। इस मिश्रण को शहद से अथवा मिश्री से दोनों समय सेवन करने से हिचकी अरुचि, खांसी तथा अतिसार का रोग मिट जाता है।
  75. खांसी में हल्का भुना हुआ लौंग चूसने से लाभ मिलता है। www.allayurvedic.org
  76. 10-10 ग्राम लौंग, पीपल, जायफल, कालीमिर्च, सोंठ तथा धनिया को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर शीशी में भर लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह, दोपहर और शाम को शहद के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।
  77. अफारा (पेट का फूलना) : 3 ग्राम लौंग को 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। फिर छानकर इस पानी को पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) समाप्त होता है।
  78. 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम तक लौंग की फांट या चूर्ण को रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से अफारा में लाभ होता है।
  79. मिश्री में 1 से 3 बूंद लौंग के तेल या गोंद को मिलाकर सेवन करने से अफारा मिटता है।
  80. जीभ और त्वचा की सुन्नता : पान खाने से या किसी अन्य कारण से जीभ फट गई हो तो एक लौंग मुंह में रखें। इससे रोग में आराम रहता है।
  81. कब्ज : लौंग 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और मिश्री 50 ग्राम को पीसकर छानकर नींबू के रस में डाल दें। सूखने पर 5-5 ग्राम गर्म पानी से खाना खाने के बाद खुराक के रूप में लाभ होता है।
  82. वमन (उल्टी) : 4 लौंग को पीसकर 1 कप पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। जब उबलता हुआ पानी आधा रह जाये तो उसे छानकर स्वाद के मुताबिक उसमें चीनी मिलाकर पी लें और सो जायें। पूरे दिन में इस तरह चार बार इस पानी को पीने से उल्टियां आना बंद हो जाती हैं।
  83. अगर उल्टियां बंद नहीं हो रही हो तो 2 लौंग और थोड़ी सी दालचीनी लेकर 1 कप पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा बाकी रह जाये तो पानी को छानकर रोगी को जब भी उल्टी आये पिलाते रहें। इससे थोड़े समय में ही उल्टियां आना बंद हो जायेंगी।
  84. यदि गर्भावस्था में उल्टी आती हो तो 2 लौंग को पीसकर शहद के साथ गर्भवती स्त्री को चटाने से उल्टी आना बंद हो जाती है। 2 लौंग को आग पर गर्म करके जब भी उल्टी हो चूसें। इससे उल्टी बंद हो जाती है।
  85. 2 लौंग को पानी में डालकर उबाल लें। फिर उस पानी को ठंडा होने पर इसमें मिश्री डालकर रोगी को पिलाकर सुला दें। इससे कुछ समय में ही उल्टी का रोग समाप्त हो जाता है।
  86. अगर जी मिचलाता (उबकाई) हो तो लौंग को मुंह में रखकर चूसते रहने से लाभ होता है।
  87. लौंग और दालचीनी का काढ़ा बनाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
  88. लगभग 25 ग्राम खील, 5 दाने लौंग, 5 छोटी इलायची और 25 ग्राम मिश्री को आधे लीटर पानी में डालकर उबालने के लिए आग पर रख दें। जब 10-12 बार पानी में उबाल आ जाये तो पानी को आग पर से उतारकर छान लें इस पानी को थोड़ा-थोड़ा पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
  89. शहद में लौंग और अजमोद का चूर्ण मिलाकर खाने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
  90. गर्भनि*रोध : नियमित रूप से सुबह के समय 1 लौंग का सेवन करने वाली को स्त्री के गर्भधारण करने की संभावना समाप्त हो जाती है।
  91. मुंह के छाले : लौंग अथवा लौंग और इलायची को मिलाकर चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
  92. मुंह का बिगड़ा स्वाद : मुंह का स्वाद खराब होने पर लौंग को मुंह में रखकर चबाते रहने से स्वाद ठीक हो जाता है।
  93. दस्त : 7 लौंग, हींग, चना और सेंधानमक को पीसकर रख लें। इसे 2 ग्राम लेकर गर्मी के दिनों में ठंडे पानी से और सर्दी के दिनों में गर्म पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
  94. मुंह की दुर्गन्ध : लौंग को हल्का भूनकर चबाते रहने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
  95. न*पुंसकता: लौंग 8 ग्राम, जायफल 12 ग्राम, अफीम शुद्ध 16 ग्राम, कस्तूरी 240 मिलीग्राम इनको कूट-पीस लें, फिर इसमें शहद मिलाकर 240 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर रख लें। इसकी 1 गोली पान में रखकर खाने से स्तम्भन होता है। अगर स्त*म्भन ज्यादा हो जाये तो खटाई खाने से स्ख*लन हो जायेगा।
  96. हिचकी का रोग  : 2 लौंग मुंह में रखकर उसे कुचलते हुए चूसने से हिचकी में लाभ होता है।
  97. कमरदर्द : लौंग के तेल की मालिश करने से कमर दर्द के अलावा अन्य अंगों का दर्द भी मिट जाता है। इसके तेल की मालिश नहाने से पहले करनी चाहिए।
  98. अग्निमान्द्यता : लौंग और हरड़ को एक कप पानी में उबाल लें, जब पानी आधा कप रह जाए, तो उसमें एक चुटकी सेंधानमक मिलाकर पीने से अपच, अग्निमान्द्य, पेट का भारीपन, खट्टी डकारें समाप्त होती हैं।
  99. 2 लौंग और 1 लाल इलायची को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें। www.allayurvedic.org
  100. 4 लौंग और 2 हरड़ को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अग्निमान्द्यता दूर हो जाती है।
  101. कफ : 3 ग्राम लौंग 100 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई रह जाये तो इसे उतारकर ठंडा करें और पी लें। इससे कफ का रोग दूर हो जाता है।
  102. लौंग के तेल की तीन चार बूंद बूरा या बताशे में गेरकर सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
  103. प्यास अधिक लगना : प्यास की तीव्रता होने पर दो गिलास उबले पानी में 3 लौंग डालकर पानी को ठंडा करके पिलायें। इससे प्यास कम हो जाती है।
  104. बुखार या हैजा में प्यास अधिक लगने पर दो लौंग को 250 मिलीलीटर पानी में 10 मिनट तक उबालें। इस उबले पानी को 60 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार लें या तेज प्यास में 10-15 मिनट पर घूंट-घूंट करके पानी पीने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
  105. बेहोशी : लौंग घिसकर अंजन करने से बेहोशी दूर होती है।
  106. लौंग को घी या दूध में पीसकर आंखों में लगाने से हिस्टीरिया की बेहोशी दूर हो जाती है।
  107. जुकाम : लौंग का काढ़ा पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  108. 2 बूंद लौंग के तेल की लेकर 25-30 ग्राम शक्कर में मिलाकर सेवन करने से जुकाम समाप्त हो जाता है।
  109. लौंग के तेल को रूमाल पर डालकर सूंघने से जुकाम मिटता है।
  110. 100 मिलीलीटर पानी में 3 लौंग डालकर उबाल लें। उबलने पर जब पानी आधा बाकी रह जाये तो इसके अन्दर थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
  111. पान में 2 लौंग डालकर खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  112. रतौंधी : 1 लौंग को बकरी के दूध के साथ पीसकर सुरमे की तरह आंखों में लगाने से धीरे-धीरे लगाने से रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
  113. बुखार : 1 लौंग पीसकर गर्म पानी से फंकी लें। इस तरह रोज 3 बार यह प्रयोग करने से सामान्य बुखार दूर होता है।
  114. आंख पर दाने का निकलना: आंखों में दाने निकल जाने पर लौंग को घिसकर लगाने से वह बैठ जाती है।
  115. दांतों के रोग : दांत में कीड़े लगने पर लौंग को दांत के खोखले स्थान में रखने से या लौंग का तेल लगाने से लाभ मिलता है।
  116. रूई को लौंग के तेल में भिगोकर दर्द वाले दांत के नीचे रखें तथा लार को नीचे गिरने दें।
  117. लौंग को आग पर भूनकर दांतों के गड्ढे में रखने से दांतों का दर्द खत्म होता है।
  118. लौंग के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दर्द वाले दांतों पर लगाने से दर्द में आराम रहता है।
  119. 5 लौंग पीसकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर दांतों पर मलने से दांतों के दर्द में लाभ होता है अथवा 5 लौंग 1 गिलास पानी में उबालकर इससे रोजाना 3 बार कुल्ला करने से लाभ होता है।
  120. प्रमेह : लौंग, जायफल और पीपल को 5 ग्राम लेकर 20 ग्राम कालीमिर्च और 160 ग्राम सोंठ मिलाकर पाउडर बना लें। बाद में पाउडर में उसी के बराबर शक्कर डालकर खायें। इससे खांसी, बुखार, भूख का न लगना, प्रमेह, सांस रोग और ज्यादा दस्त का आना खत्म होता है।
  121. सूखी या गीली खांसी : सुबह-शाम दो-तीन लौंग मुंह में रखकर रस चूसते रहना चाहिए।
  122. लौंग या विभीतक फल मज्जा को घी में तलकर रख लेना चाहिए। इसे खांसी आने पर चूसना चाहिए इससे सूखी खांसी में लाभ होता है।
  123. लौंग और अनार के छिलके को बराबर पीस लें, फिर इसे चौथाई चम्मच भर लेकर आधे चम्मच शहद के साथ दिन में 3 बार चाटें। इससे खांसी ठीक हो जाती है।
  124. भूख न लगना : आधा ग्राम लौंग का चूर्ण 1 ग्राम शहद के साथ रोज सुबह चाटना चाहिए। थोडे़ ही दिनों में भूख अच्छी तरह लगने लगती है।
  125. गर्भवती स्त्री की उल्टी : गर्भवती स्त्रियों की उल्टी पर 1 ग्राम लौंग का पाउडर अनार के रस के साथ देना चाहिए। www.allayurvedic.org
  126. गर्भवती की मिचली में लौंग का चूर्ण शहद के साथ बार-बार चाटने से जी मिचलाना, उल्टी आदि सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसे प्रतिदिन 120 ग्राम से 240 ग्राम की मात्रा में दो बार चाटना चाहिए।
  127. लौंग एक ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से गर्भवती की उल्टी बंद हो जाती है।
  128. बुखार में खूब प्यास लगना : थोड़े से पानी में चार लौंग डालकर पानी को उबालें, जब आधा शेष बचे तो इसे बार-बार पीने से बुखार दूर होता है।
  129. पेट दर्द और सफेद दस्त : लौंग के पाउडर को शहद के साथ चाटने से लाभ मिलता है।
  130. जीभ कटने पर : पान खाने से अगर जीभ कट गई हो तो एक लौंग को मुंह में रखने से जीभ ठीक हो जाती है।
  131. सिर दर्द : लौंग को पीसकर लेप करने से सिरदर्द तुरन्त बंद हो जाता है। इसका तेल भी लगाया जाता है या 5 लौंग पीसकर 1 कप पानी में मिलाकर गर्म करें जब आधा बच जाये तो उसे छानकर चीनी मिलाकर पिलायें। इसका सेवन शाम को और सोते समय 2 बार करते रहने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
  132. 6 ग्राम लौंग को पानी में पीसकर गर्मकर गाढ़ा लेप कनपटियों पर लेप करने से सिर का दर्द दूर होता है।
  133. लौंग के तेल को सिर और माथे पर लगायें या नाक के दोनों ओर के नथुनों में डालें। इससे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  134. 2 से 3 लौंग के साथ लगभग 480 मिलीग्राम अफीम को जल में पीसकर गर्म करके सिर पर लेप करने से हवा और सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  135. 1 या 2 ग्राम लौंग और दालचीनी को मैनफल के गूदे के साथ देने से सिर का दर्द दूर हो जाता है। इसको अधिक मात्रा में सिर दर्द के रोगी को नहीं देना चाहिए क्योंकि अधिक मात्रा में लेने से रोगी को उल्टी हो सकती है।
  136. लगभग 5 लौंग लेकर उसको एक कप पानी में पीसकर गर्म करें और आधा कप पानी रहने पर छानकर चीनी मिला दें। इसे सुबह और शाम को दो-चार बार पिलाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
  137. पेट की गैस : 2 लौंग पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें। फिर कुछ ठंडा होने पर पी लें। इस प्रकार यह प्रयोग रोजाना 3 बार करने से पेट की गैस में फायदा मिलेगा।
  138. आधे कप पानी में 2 लौंग डालकर पानी में उबाल लें। फिर ठंडा करके पीने से लाभ होगा।
  139. अम्लपित्त : अम्लपित्त से पाचनशक्ति खराब रहती है। बूढ़े होने से पहले दांत भी गिरने लगते हैं। आंखे दुखने लगती हैं और बार-बार जुकाम लगा रहता है। इस प्रकार अम्लपित्त से अनेक रोग पैदा होते हैं। अम्लपित्त के रोगी को चाय काफी नुकसानदायक होती है। इस अवस्था में खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से या शर्बत में लेने से अम्लपित्त से पैदा होने वाले सारे रोगों में फायदा होता है और अम्लपित्त ठीक हो जाता है अथवा 15 ग्राम हरे आंवलों का रस 5 पिसी हुई लौंग, 1-1 चम्मच शहद और चीनी मिलाकर रोगी को सेवन करायें। ऐसे रोज सुबह, दोपहर और शाम को 3 बार खाने से कुछ ही दिनों में फायदा होता है।
  140. सुबह और शाम भोजन के बाद 1-1 लौंग खाने से आराम आता है।
  141. लौंग को खाना खाने के बाद गोली के रूप में चूसने से पेट की अम्लपित्त की शिकायत समाप्त होती है।
  142. नासूर : लौंग और हल्दी पीसकर लगाने से नासूर के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
  143. हैजा : लौंग का पानी बनाकर रोगी को देने से प्यास और उल्टी कम होती है और पेशाब भी खुलकर आता है।
  144. लौग के तेल की 2-3 बूंदे चीनी या बताशे में देने से हैजा की उल्टी और दस्तों में लाभ होता है। इसके तेल के सेवन करने से पेट की पीड़ा, अफरा, वायु और उल्टी दूर होती है।
  145. पित्तज्वर : 4 लौंग पीसकर पानी में घोलकर रोगी को पिलाने से तेज ज्वर कम होता है।
  146. आन्त्रज्वर (टायफाइड) : इसमें लौंग का पानी पिलाना फायदेमंद है। 5 लौंग 2 किलो पानी में उबालकर आधा पानी शेष रहने पर छान लें। इस पानी को रोगी को रोज बार-बार पिलायें। सिर्फ पानी भी उबालकर ठंडा करके पिलाना फायदेमंद है।
  147. सर्दी लगना : लौंग का काढ़ा बनाकर खाने से या लौंग के तेल की 2 बूंद चीनी में डालकर खाने से सर्दी खत्म होती है। www.allayurvedic.org
  148. मुंह की बदबू : लौंग को मुंह में रखने से मुंह और सांस की बदबू दूर होती है।
  149. दिल की जलन : 2-4 पीस लौंग को ठंडे पानी में पीसकर मिश्री मिलाकर पीने से दिल की जलन शांत होती है
  150. जी मिचलाना : 2 लौंग पीसकर आधा कप पानी में मिलाकर गर्म करके पिलाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है। लौंग चबाने से भी जी मिचलाना ठीक हो जाता है।

Friday, 3 February 2017

शनि का रत्न नीलम

प्राचीन काल से रत्नों का उपयोग आध्यात्मिक क्रियाकलापों और उपचार के लिए किया जाता रहा है। हालाँकि रत्न कठिनाई से मिलते थे और बहुत सुन्दर होते थे, लेकिन उनके बहुमूल्य होने का प्रमुख कारण पहनने वाले को उनसे हासिल होने वाली शक्तियाँ थीं। रत्न शक्तियों के भण्डार की तरह हैं, जिनका असर स्पर्श के माध्यम से शरीर में जाता है। रत्नों का असर धारण करने वाले पर सकारात्मक या नकारात्मक रूप से हो सकता है – यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें किस तरह उपयोग में लाया जाता है। सभी रत्नों में अलग-अलग परिमाण में चुम्बकीय शक्तियाँ होती हैं, जिनमें से कई उपचार के दृष्टिकोण से हमारे लिए बेहद लाभदायक हैं। ये रत्न ऐसे स्पन्दन पैदा करते हैं, जिनका हमारे पूरे अस्तित्व पर बहुत गहरा असर होता है।
  ग्रहों में शनि को दंडाधिकारी एवं न्यायाधिपति का स्थान प्राप्त है.यह व्यक्ति को उनके कर्मो के अनुरूप फल प्रदान करते हैं.इस ग्रह की गति मंद होने से इसकी दशा लम्बी होती है.अपनी दशावधि में यह ग्रह व्यक्ति को कर्मों के अनुरूप फल देता है.इस ग्रह की पीड़ा अत्यंत कष्टकारी होती है.यह ग्रह अगर मजबूत और शुभ हो तो जीवन की हर मुश्किल आसन हो जाती है.इस ग्रह का रत्न नीलम 
यह रत्न रंक को राजा और राजा को रंक बना सकता है। नीलम शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। विधिवत रूप से पूजा पाठ करने के बाद ही नीलम धारण करना चाहिए। अगर पहले कुछ दिनों में इसका विपरीत प्रभाव लगे तो रत्न को उतार देना चाहिए। नीलम के साथ कोई अन्य रत्न विशेषकर माणिक्य, मोती आदि नहीं पहनना चाहिए.नीलम शनि का रत्न है अत: इसे धारण करने से व्यक्ति में धैर्य व साहस बढ़ता है. मेहनत करने की क्षमता बढ़ती है तथा मेहनत का पूरा फल प्राप्त होता है. नेत्र रोग, ज्वर एवं रक्त सम्बन्धी रोग में कमी आती है.
मेष, वृष एवं तुला लग्न के लिए शनि योगकारी ग्रह होते हैं. इस लग्न के व्यक्ति नीलम धारण कर सकते हैं. मकर एवं कुम्भ राशि के स्वामी शनि ग्रह हैं अत: इस लग्न के लिए शनि शुभ होते हैं अत: मकर एवं कुम्भ लग्न के व्यक्ति भी नीलम पहन सकते हैं. कुण्डली में अगर शश योग है तो नीलम पहनना बहुत ही फायदेमंद होता है. वे लोग जिनकी कुण्डली में शनि कमज़ोर, वक्री एवं अस्त हैं और शुभ भाव में बैठे हैं अथवा शुभ भावों के स्वामी हैं तो नीलम पहनन सकते हैं. 

स्वास्थ संजीवनी

पेट संबंधी तकलीफ
पाचन संबंधी तकलीफ
फेंफडों संबंधी तकलीफ
..ऐसे ही अन्य कई तकलीफों पर लाभदायक है नौकासन !
जानिए इसकी विधि !"

Ø सबसे पहले किसी खुले स्थान में, समतल सतह पर आप अपनी छाती के बल जमीन पर आराम से लेट जाइये और दोनों हाथों को सामने की तरफ फैलाकर आपस में जोड़ ले।
Ø अब अपने पैरों को जमीन से ऊपर की ओर उठाये। इसके बाद अपने हाथो को भी जमीन से ऊपर की ओर उठा ले|
Ø अब आपके सरे शरीर का दबाव आपके पेट और कमर पर आ जायेगा।
Ø जब आप इस आसन को करें तो आप अपनी गर्दन को उठा ले और अपने दोनों जुड़े हाथो को देखने का प्रयास करें|
Ø अब आपके शरीर की आकृति एक नाव के समान हो गयी हैं| सांसो को धीरे-धीरे लेते रहें|
Ø इस अवस्था में कुछ देर तक रुके रहें| और फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाये|

Gallbladder (पित्त की थेली) की पथरी निकालने का प्राकृतिक उपचार

Gallbladder (पित्त की थेली) की पथरी निकालने का प्राकृतिक उपचार :
  • आज बहुत से लोग इस से परेशान हैं, और डॉक्टर भी इस के आगे फेल हैं। कृपया शेयर करते रहिये।
  • पहले 5 दिन रोजाना 4 ग्लास एप्पल जूस (डिब्बे वाला नहीं) और 4 या 5 सेव खाये।
  • छटे दिन डिनर नां ले।
  • इस छटे दिन शाम 6 बजे एक चम्मच ”सेधा नमक” (मैग्नेश्यिम सल्फेट) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ ले।
  • शाम 8 बजे फिर एक बार एक चम्मच ” सेंधा नमक ” (मैग्नेश्यिम सल्फेट) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें। 
  • रात 10 बजे आधा कप जैतून ( Olive ) या तिल (sesame) का तेल – आधा कप ताजा नीम्बू रस में अच्छे से मिला कर पीयें।
  • सुबह स्टूल में आपको हरे रंग के पत्थर मिलेंगे।
  • नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन ना करे.

अदरक की चाय के साइड इफेक्‍ट के बारे में जानें.....!

यूं तो अदरक की चाय पीने से सेहत को कई तरह से फायदे होते हैं, लेकिन कहते हैं न अति हर चीज की बुरी होती है। जीं हां अदरक की चाय को अधिक मात्रा में पीने से कुछ लोगों को सीने में जलन, पेट खराब होना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • अदरक में मौजूद तत्‍व मतली, पेट और आंतों की समस्‍या और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। प्राचीन आयुर्वेद और चीनी दवाओं में भी करीब 3 हजार सालों से अदरक का इस्‍तेमाल औषधि के रूप में किया जा रहा है। और अदरक की चाय अपच, सूजन, जलन, माइग्रेन, डायरिया और कई अन्‍य प्रकार की समस्‍याओं का कुदरती तौर पर इलाज करने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है। अदरक की चाय पीने से सेहत को कई तरह से फायदा होता है, लेकिन कहते हैं न अति हर चीज की बुरी होती है। जीं हां अदरक की चाय को अधिक मात्रा में पीने से कुछ लोगों को सीने में जलन, पेट खराब होना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानें सेहत के लिए फायदेमंद अदरक की चाय आपकी दुश्‍मन कैसे हो सकती है।                                                                                                       
  •  हालांकि अदरक की चाय पेट की समस्‍याओं को दूर करती है, लेकिन अदरक की चाय की उचित मात्रा हर व्‍यक्ति के हिसाब से अलग-अलग होती है। तो ऐसे में यह कहना जरा मुश्किल है कि इस समस्‍या से बचने के लिए अदरक की चाय की कितनी मात्रा उपयोगी साबित होगी। खाली पेट अदरक की चाय का सेवन करने से आपका पेट खराब हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के अनुसार, ऐसा करने से गस्ट्रोइंटेस्टिनल खराब हो जाता है।
  • ब्‍लड पतला करने वाली किसी भी दवा के साथ अदरक की चाय के सेवन से बचना चाहिए। यानी जो लोग हाई ब्‍लड प्रेशर की दवा का सेवन कर रहे हैं, उन्‍हें किसी भी रूप में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिये क्‍योंकि यह ब्‍लड प्रेशर को कम करता है, जिससे हार्ट पल्‍पीटेशन की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा अदरक के सेवन से लोगों में हीमोफिलिया जैसे रक्‍त विकार हो सकते हैं। इसलिए दवाओं के साथ अदरक की चाय पीने से पहले अपने डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें।
        



सोचिये...... ?????



हम हमारे संस्कार भूल रहे हैं और विदेशी सनातन की शक्ति को पहचान सनातन की ओर लौट रहे हैं। गौ माता का महत्व ये विदेशी समझ रहे है और हम गौ माता को छोड कर भैंस पाल रहे हैं। केवल धन और आधुनिकता के पीछे पागल की तरह हम विदेशी की नकल करके हमारा परिवेश बदल रहे हैं। हमारी भाषा संस्कृत हमारी संस्कृति हम भूल रहे हैं और ये विदेशी सनातन संस्कृति अपनाके सनातन के मूल नियम को जी रहे हैं। धन्य है हमारी आधुनिक सोच!

Thursday, 2 February 2017

UP Election 2017: यूपी के लिए कराया ओपिनियन पोल, पढ़ें क्या निकला है परिणाम

एक चैनल के सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बहुमत मिल सकता है. सर्वे के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी यूपी की 403 विधानसभा सीटों में 202 सीटें जीत सकती है. बीजेपी का वोट प्रतिशत लगभग 34 फीसदी रह सकता है. इसके अलावा सर्वे में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन के 147 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया है. दोनों को 31 फीसदी वोट मिल सकता है. वहीं, सर्वे की मानें तो बसपा 24 वोट प्रतिशत के साथ 47 सीटें ही जीत सकती है और इस बार पार्टी के तीसरे नंबर पर रहने का अनुमान है

Wednesday, 1 February 2017

जानिए शनि ग्रह के बारे मे.......

                                               


      वर्तमान समय में शनि देव के विषय में बहुत सी भ्रांतियाँ लोगों में फैली हुई है. हर कोई शनि देव को प्रसन्न करने में जुटा है. शनिवार आया नहीं कि सुबह से ही तेल की धारा बहने लगती है. लेकिन कोई यह नहीं जानता कि किसे शनिदेव को प्रसन्न करना है और किसे नहीं. लगता है शनि मंदिर में जाने की एक होड़ सी लग गई है. हर कोई अपने तरीके से शनि महाराज को बस में करना चाहता है
  शनि जब अशुभ फल देने लगता है, तो जातक को घर की परेशानी आती है। शनि अशुभ होने से घर गिरने की स्थिति भी आ सकती है। जातक के शरीर के बाल भी झड़ने लगते हैं। विशेषकर भौंह के बाल झड़ने लगे, तो समझना चाहिए कि शनि अशुभ फल दे रहा है।